सीधी जिले के मउगंज क्षेत्र में 132 केवी विद्युत टावर लिफ्टिंग कार्य के दौरान कम्पनी के कर्मियों का संत्रंकर सामने आया है। प्रभावित आवेदकों ने इस कार्य के खिलाफ आवेदन देते हुए प्रशासन से नियम संगत कार्रवाई की मांग की है। मामले में पावर ट्रांसमिशन कम्पनी के सहायक यंत्री जी एल शाहू की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं, जिन्हें कार्य के संबंध में संदेहास्पद माना जा रहा है। आवेदकों का आरोप है कि उनके व्यावसायिक भूखंड के लिए कम मुआवजा निर्धारित किया जा रहा है, जबकि टावर लगाए जाने के बाद भुगतान का आश्वासन दिया जा रहा है।
–आवेदकों की शिकायतें और प्रशासन से अपेक्षाएँ।
मधुरी पवाई क्षेत्र में प्रभावित आवेदकों ने जिला कलेक्टर और जमोड़ी थाना में आवेदन देकर अपनी शिकायतें दर्ज करवाईं। उन्होंने नियमों के अनुसार कार्यवाही की अपील की है, ताकि उन्हें उचित मुआवजा मिल सके और उनके भूखंड के अधिकारों का उल्लंघन न हो। उनका कहना है कि मुआवजे में हो रही गड़बड़ी और अधूरी जानकारी से प्रभावित हुए लोग परेशान हैं।
–सहायक यंत्री जी एल शाहू पर उठे सवाल।
पावर ट्रांसमिशन कम्पनी के सहायक यंत्री जी एल शाहू की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि शाहू की तरफ से लिफ्टिंग कार्य में लापरवाही बरती गई है और यह कार्य बिना पूरी जानकारी और स्वीकृति के किया जा रहा है। आवेदकों का मानना है कि अगर सही प्रक्रिया से काम किया जाता, तो यह विवाद उत्पन्न नहीं होता।
–मुआवजे का विवाद।
आवेदकों ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें उनके व्यावसायिक भूखंड का मुआवजा बहुत कम दिया जा रहा है। उनके अनुसार, कम्पनी ने उन्हें पहले कहा था कि मुआवजा मिलेगा, लेकिन अब टावर लगाने के बाद मुआवजे के भुगतान की बात हो रही है। इससे उनके मन में संदेह उत्पन्न हुआ है और वे डर रहे हैं कि उन्हें सही मुआवजा नहीं मिलेगा।
–धमकियाँ और परेशानियाँ।
इस मामले को लेकर एक और गंभीर आरोप सामने आया है। आवेदकों का कहना है कि उन्हें झूठे मामलों में फंसाने और परेशान करने के लिए धमकियाँ दी जा रही हैं। इन धमकियों से प्रभावित लोग मानसिक रूप से भी तनाव में आ गए हैं। उनका कहना है कि अगर यह स्थिति नहीं सुधरी, तो वे और भी कठोर कदम उठाने के लिए बाध्य होंगे।
–प्रशासन से अपेक्षाएँ और समाधान की ओर कदम।
आवेदकों ने जिला कलेक्टर, जमोड़ी थाना और अन्य अधिकारियों से निष्पक्ष जांच और उचित मुआवजे की उम्मीद जताई है। उनका कहना है कि यदि इस मुद्दे का शीघ्र समाधान नहीं होता है, तो वे आंदोलन करने पर भी विचार कर सकते हैं। प्रशासन से यह उम्मीद की जा रही है कि वह मामले की गंभीरता को समझे और उचित कार्रवाई करें, ताकि प्रभावित लोगों को उनके हक का मुआवजा मिल सके।कुल मिलाकर, यह मामला प्रशासन और पावर ट्रांसमिशन कम्पनी के लिए एक चुनौती बन गया है, जिसमें उचित निर्णय से ही प्रभावित परिवारों को राहत मिल सकती है।