म.प्र. मे आशा कार्यकर्ताओं को सरकार हर माह ₹6 हजार रुपये वेतन देती है। ग्रामीण इलाकों में गांवों की गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की लगभग पूरी जिम्मेदारी आशा कार्यकर्ताओं की होती है। इन्हीं महिलाओं की वजह से सुरक्षित प्रसव हो पा रहे हैं।लेकिन स्वास्थ विभाग के आला अधिकारी इन्हीं महिलाओं के साथ गंभीरता से पेश नहीं आते है। जिससे दिन प्रतिदिन उनका मनोबल घटता जा रहा है।
कुसमी सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र की आशा-उषा कार्यकर्ताओं की तनख्वाह बीते 2 महीने से नहीं आई। परेशान आशा कार्यकर्ताओं ने नाम न बताने की शर्त पर जानकारी देते हुये उच्च अधिकारियो का ध्यान आकृष्ट कराकर जल्द बेतन दिलाने की मांग की है।
बताते चले कि एमपी में करीब एक लाख आशा-उषा कार्यकर्ता हर गांव में एक आशा या उषा कार्यकर्ता होती है। मध्य प्रदेश में आशा उषा कार्यकर्ताओं की संख्या लगभग एक लाख है। कुसमी में लगभग डेढ सैकडा भर आशा कार्यकर्ताये हैं।इनका काम स्वास्थ्य की मॉनिटरिंग करना है।इसके तहत गर्भवती महिलाओं को टीकाकरण, उनकी डिलीवरी अस्पताल में करवाना, बच्चों का टीकाकरण के अलावा संक्रामक बीमारियों के दौरान दवाओं का वितरण, टीवी मरीजों को समय पर दवा देने का काम आशा और उषा कार्यकर्ताओं को करने पड़ते हैं। इसके एवज में सरकार इन्हें हर महीने लगभग6 हजार रुपया के अलावा प्रोत्साहन राशि भी देता है।
कुसमी मे देखा जा रहा है बाबू और वररिष्ठ अधिकारियो के द्वारा प्रोत्साहन राशि मे कटौती कर के राशि दी जाती है। और कुछ आशाओ ने बताया की कमीशन देने पर पूरी राशि कई आशाओ की बना दी जाती है। इस लिये कुसमी मे स्वास्थ विभाग के आला अधिकारी दवाव बनाकर गरीब आदिवासी आशाओ को वेतन और प्रोत्साहन राशि मे कमीशन खा रहे है।
यहां तक कि वेतन तो दूर प्रोत्साहन राशि भी नही मिल रही है जिसकी यदि गंभीरता से जांच हो तो अगस्त माह का बेतन आशाओ को नही दिया गया जैसे चौकाने बाले तथ्य सामने आ सकते है।पिछली बार अखबार मे खबर आने के बाद विभाग के ही लोगो ने कई आशाओ से व्यक्तिगत द्वेश करके प्रसासनिक तौर कार्यवाही करने पर उतारू हो गये थे।और उसी के बजह से इनके वेतन एवं कुछ संविदा कर्मियो की भी वेतन देने मे जिम्मेदार आना कानी कर रहे है।
सूत्र तो यह भी बताते है कि कुसमी अस्पताल अंतर्गत कई ऐसे कर्मचारी है जिनका पेडाटा पूर्ण माह का बना है। इसके बाद भी वरिष्ठ अधिकारी और बाबू मनमानी रवैया अपनाते हुये राशि की कटौती कर देते है। जो जांच योग्य है।बताते चले कि हर माह कुसमी के अस्पताल से कर्मचारियो की प्रताणना जैसी शिकायत निकलकर सामने आती है। ऐसे मे जिला अधिकारियो को ऐसे वो अधिकारी और बाबू जो सालो से यहा पदस्त है उनका फेर बदल देना चहिये। हलाकि धौहनी विधायक तक भी शिकायत पहुंचने लगी है देखते है क्या असर पडता है।