-सीधी जिले के विकास के लिए विनाश का सहारा लिया जा रहा है। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं ऐसा एक पत्र कह रहा है जी पत्र को देखकर आपके भी होश उड़ जाएंगे। यह पत्र और कोई नहीं बल्कि यह पत्र कलेक्ट्रेट कार्यालय से निकलकर कुसमी में पहुंचा है। इस पत्र में साफ तौर पर दिख रहा है कि 14 भवनो के साथ ही साथ बाउंड्री वालों को भी डिस्मिलिटिल किया गया।यानी पहले हमारे सभी के द्वारा टैक्स के रूप में दिए गए पैसे से पहले भवन बना और फिर उसे गिरकर नवीन भवन बना तब जाकर सीधी का विकास होगा। विनाश की गाथा लिखने में सीधी में एक और नाम अब जुड़ गया है। जहां आठ भवन अब तक गिराए जा चुके हैं लेकिन इन भावनाओं को गिराए जाने के बाद अब भी अगर कोई व्यक्ति जांच करता है तो उसे साफ तौर पर दिख जाएगा कि यह भवन कितने सही थे और कितने गलत हैरानी की बात तो यह है कि यह कलेक्ट्रेट कार्यालय से पत्र निकलकर सामने आया है जिन 10 सदस्य टीम को डिस्मेंटल करने के लिए भेजा गया था वह घर में बैठकर ही डिस्मेंटल का कागज बना दिए हैं। ऐसा ग्रामीण तथा समाजसेवियों ने आरोप लगाया है। भवन बिल्कुल एकदम सही थे लेकिन फिर भी उसे गिराने में एक बार भी प्रशासन के हाथ नहीं कापे। करोड़ों रुपए की लागत से बने भवनों को एकाएक जमीन दोष कर दिया गया और फिर उतने ही पैसे लगाकर एक बार फिर से नवीन भवन बनाने की तैयारी प्रशासन कर रही है।सवाल यही उठता है कि अगर सीधी का विकास इसे ही कहते हैं तो विनाश किसे कहते हैं यह समझ में ही नहीं आ रहा है। हम सभी के द्वारा किसी न किसी रूप में टैक्स दिया जाता है और उन टैक्स का उपयोग मध्य प्रदेश सरकार अपने विकास के कार्यों के लिए लगती है लेकिन विकास के कार्य ऐसे होते हैं यह आज हमें पता चल रहा है।तहसीलदार से लेकर एसडीएम और कलेक्टर तक इस बात की भनक है लेकिन किसी ने भी कोई भी इस खबर पर एक्शन नहीं लिया गया क्योंकि यह साधारण और आम जनता के पैसे की कमाई है। हालांकि प्रशासन के द्वारा यहां सीएम राईज स्कूल बनाया जा रहा है लेकिन सीएम राइज स्कूल बनाने के लिए क्या इन भावनाओं को जमीन दोज करना उचित था इस बात का जिक्र नहीं हो रहा है।
जिन 16 है भवनो को क्षतिग्रस्त किया जाना है उन 16 भवन में 14 भवन, 1बाउंड्री वॉल, एक स्टेनिंग बाल ,2 फ्लैग पोस्ट,1चबूतरा शामिल है। जो आज से पहले डिस्मेंटल नहीं थे सारी चीज इनमें उपयोग हो रही थी एक-दो बिल्डिंग को छोड़कर। और एकाएक एक पत्र आया और सभी को डिस्मेंटल कर दिया गया यह बात हजम नहीं हो रही है। सवाल यह भी क्या कुसमी में और कोई भी शासकीय जमीन नहीं थी जिनका उपयोग इस स्कूल को बनाने में किया जाता।
या तो सीधी जिले के कलेक्टर महोदय यह देखना जरूरी नहीं समझते हैं और अपने बाबुओं वा अधीनस्थ कर्मचारियों के द्वारा दिए गए कागज में बिना जांच साइन कर दिए और करोड़ों के लागत से बनी बिल्डिंग आखिर उन्हीं के नाम पर उनके आदेश के बाद धराशाई हो गई ऐसा समाजसेवियों ने आरोप लगाया है।