शहड़ोल । रात के घनघोर अंधेरे, और भारी बरसात में सुनहरी सोन को रौंद रहे हैं डाकू। जिम्मेदार क्यो हैं खमोश, चीख रही सोन, बचालो यारो शहड़ोल संभाग की हमारी जीवनदायनी को खोखला किया जा रहा। उसका सीना छलनी करने से भी कोई गुरेज नही कर रहे लुटेरे, सोन को बड़े हथियार नुमा मशीनों से घोंपा जा रहा है।
ये सब जानने के बाद भी जिम्मेदार चुप हैं।
कभी इसे कागज की कश्ती ने प्रदुषित किया तो कभी ये रेत माफियाओं के चुगल में फसी रही।
जिसे लुटने डाकुओ की शक्ल अख्तियार कर भरी बरसात,अंधेरी रात में डम्फर,डाला ट्रैक्टर और डॉगीयों के साथ माफिया का काफिला सोने की तट पर पहुंचता है ।
और पूरी रात सुनहरी सोन पर तांडव करते हैं।
शाशन प्रशाशन के लाख प्रतिबंध लगाने के बाद भी रेत के लुटेरे अपनी सेटिंग बना कर इस अबैध कार्य को अंजाम दे रहे।
इस आदिवासी बाहुल्य संभाग के किसानों के खेत की प्यास बुझाने वाली, लोगो के कंठ को तर करने वाली सोन को भारी बरसात में भी बक्सा नही जा रहा।
कौन है ये लुटेरे डाकू जो सोन की धारा से खिलवाड़ कर रहे हैं।
क्षेत्र की पहचान बनी जीवन दायनी को कुचलने के कार्य कर रहे।
और हमारे जनप्रतिनिध भी इस पर पूरी तरह चुप्पी साधे हुए है।
जिन्हें शायद इस से कोई लेना देना ही ना हो।
जबकि सोन की धारा से देश के कई जिलों की प्यास बुझा रही, कई गरीब किसानों के खेत सींचित कर रही हैं, सब के मन को भाने वाली सोन की सुनहरी रेत की डिमांड भी प्रदेश सहित अन्य कई दूसरे राज्यो में भी हैं।
जिसकी मुहमांगी कीमत भी माफ़िया वसूल रहे।
जिस कारण रेत माफिया हर हाल में सोन की रेत को पसंद करने वालो तक पहुचने में कोई गुरेज नही कर रहे।
पूरे लाव लश्कर के साथ ,अबैध हथियारों से लेस सोन की रेत के लुटेरे सोन को सारे आम लूट रहे और सब खमोश हैं।
लेकिन उन्हें ये पता नही शाशन प्रशाशन से कोई बड़ा नही।
अगर शासकीय अमला यह सोच भर ले की अवैध उत्खनन नहीं होने देंगे ,ऐसे में किसी की मजाल नही की कोई सोन की ओर नजर उठा कर भी देख सके।
संभाग के तीनों जिलों में अलग-अलग रेत ठेका कंपनी को रेत की कई खदान लीज में मिली हैं।
जिसमे एक कम्पनी शहड़ोल में भी इस कार्य को कर रही।
जिनका दावा है कि वो बारिश के चलते रेत खनन पर लगे प्रतिबंध का पालन पूरी ईमानदारी से कर रहे हैं।
जो भंडारण उनके द्वारा किया गया है उसी से ही कंपनी का गुजारा चल रहा है, लेकिन इस मामले के जानकारों का कहना है सिर्फ भंडारण से कंपनी के लाखों करोड़ों खर्च पूरा होना किसी भी सूरत में संभव नहीं है।
जबकि कंपनी के अधिकारी यह भी कह रहे कि उनका रेत खनन का पहला ठेका है, उन्हें इस कार्य का कोई तजुर्बा नहीं, उन्हें पता ही नहीं था की बारिश के पहले रेत का भंडारण करना था। बारिश के दौरान नदियों से रेत खनन पर प्रतिबंध रहता है इससे भी वो अनजान थे।
अब कम्पनी के इस दाबे पर सवाल इसलिए भी खड़े हो रहे हैं।
कंपनी का दावा है कि उन्होंने पर्याप्त मात्रा में रेत का भंडारण नहीं किया जबकि संबंधित कंपनी का प्रति माह शहडोल में लाखों करोड़ों का अतिरिक्त खर्च है।
आलीशान भवन, सुविधायुक्त रहन-सहन, सुरक्षा भी ऐसी की कोई परिंदा भी पर ना मार सके।
कंपनी के बड़े अधिकारियों की सुरक्षा आले दर्जे की हैं।
उनके साथ कई बाउंसर भी चलते हैं।
ऐसे में लगभग तीन से चार माह तक कंपनी बिना रेत खनन किये कैसे अपने इतने भारी भरकम खर्च को मेंटेन कर पाएगी।
वहीं जिले में लंबे समय से रेत का अवैध खनन सरेआम चल रहा है इसमें रेत की ठेका कंपनी कितनी इंवॉल्व है यह तो जांच के बाद ही पता चल सके ।
लेकिन रेत ठेका कंपनी के अलावा कई रेत माफिया अवैध रूप से इस कर को लंबे समय से अंजाम दे रहे हैं। प्रतिबंध का कोई असर अभी तक जिले में दिखाई नहीं दे रहा है।
प्रशासनिक अमला भी इस और पूरी तरह छुपी साधे हुए है। जिससे यह साबित होता है कि उनकी कहीं ना कहीं मोन सहमति है।
अब सोन को लुटोरो से कौन बचाएगा। जबकि सोन खुद चीख चीख कर कह रही, लूट रही सोन बचा लो यारो।