-लोकसभा संसदीय क्षेत्र के सांसद डॉ राजेश मिश्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अति महत्वाकांक्षी परियोजना जल जीवन मिशन की कार्य प्रणाली पर लोकसभा क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों की गुणवत्ता पर प्रश्न उठाया वही हर व्यक्ति को शुद्ध पेयजल आपूर्ति करने के लिए प्रतिबद्ध प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभिनंदन करते हुए क्षेत्र की जनता की ओर से धन्यवाद भी व्यापित किया।
सांसद डॉक्टर राजेश मिश्रा ने लोक जन हित के मुद्दों के अंतर्गत लोकसभा संसदीय क्षेत्र में किया जा रहे जल जीवन मिशन के अंतर्गत किए जा रहे कार्यों की गुणवत्ता पर प्रश्न पूछते हुए कहा कि जल जीवन मिशन का कार्य एलसीसी और केपीटीएल कंपनियों द्वारा किया जा रहा है। इन कंपनियों ने नेशनल हाईवे को बिना परमिशन के मनमानी तरीके से क्षतिग्रस्त कर दिया है। और प्रयोग में लाई जा रही पाइप भी घटिया है, जिसके कारण जहां एक ओर नेशनल हाईवे की सड़क खराब हुई है, शहर के सौंदर्यीकरण को ग्रहण लगा है और दुर्घटनाएं भी हुई है वहीं दूसरी ओर खराब गुणवत्ता की पाइपों के उपयोग के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकाक्षी परियोजना जल जीवन मिशन पर ग्रहण लगाने का कार्य किया जा रहा है।
घटिया निर्माण कार्य करने वाली कंपनियां हो ब्लैकलिस्टेड
सांसद डॉक्टर राजेश मिश्रा ने लोकसभा में प्रश्न उठाते हुए कहा कि इस मिशन के अंतर्गत कार्य करने वाली कंपनियों के लिए बनी समिति मे सिविल सोसाइटी से भी कुछ प्रतिनिधि रखे जाएं, जो उनके कार्यों की मॉनीटरिंग कर सके। एल सी सी और के पी टी एल कंपनियों द्वारा किए जा रहे जल-जीवन मिशन के अब तक हुए कार्यो की जांच करके इन कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करते हुए, इन्हें ब्लैक लिस्ट करने की कार्यवाही हो और नेशनल हाईवे को क्षतिग्रस्त करने के कारण और घटिया पाइप इस्तेमाल के कारण इनके ऊपर जुर्माना भी लगे। रेहंड डेम, सोन व अन्य आसपास के बड़े जलाशयों से घर-घर नल से शुद्ध पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकती है।
हर व्यक्ति को मिले शुद्ध पेयजल हमारी प्राथमिकता
बाद में सांसद डॉक्टर राजेश मिश्रा ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि सभी देशवासियों को शुद्ध पेयजल टोटी वाले नल से मिले। इसके लिए जल जीवन मिशन पूरे देश भर में काम कर रहा है। यह एक ऐसी योजना है जिसके कारण हर व्यक्ति को शुद्ध पर जल की आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी और हर घर में टोटी वाला पानी उपलब्ध हो सकेगा। इसके साथ ही जहां पानी की टंकियों का निर्माण किया गया है, वह भी निर्धारित मापदंड के अनुरूप नहीं है।