– सीधी जिले प्रधानमंत्री की अतिमहत्वाकांक्षी परियोजना में घोटाले का नायाब खेल इस तरह खेला गया की सीधी ब्लाक में पीएम केस वाय-2.0 स्विकृत परियोजना,वाटर शेड कमेटी-02 जिसमे ब्लाक के आठ ग्रामपंचायते चयनित थी जिसमें उडैसा,बरसाई,भगोहर,सेन्दूरा, कोचिला डोल कोठार, ब्रमबाबा,तेगवा, वाटर शेड कमेटी सामिल थी वाटर शेड के जिला समन्वयक दीपक अहिरवार घोटाले का नायाब खेल खेलने के लिए तैयार बैठे थे परियोजना पीएम के एस वाय-2.0 स्विकृत हो चुकी थी राशि-12 करोड 68 लाख 96 हजार रूपये खाते में आ चुके थे।अब दौर था कि जन मूलक योजना का कैसे बंटाधार किया जाय कि जमीन में न रह कर सब काम हवा में रहे उसी दौरान बरमबाबा के तत्कालीन सरपंच दिवंगत दानवहादुर सिंह की मृत्यु हो जाती है आदिवासी पंचों में से सरपंच चुनने का था कि सुभलाल सिंह को सरपंच (प्रधान)बरमबाबा को जिला प्रशासन की सहमति से घोषित कर दिया जाता है जो कि निहायत सीधी व कम जानकारी थे उन्हें किसी भी तरफ घुमाया जा सकता था इसी का इन्तजार वाटर शेड के जिले के अधिकारियों को था क्यो कि ग्रामपंचायत का सरपंच वाटर शेड का पदेन अध्यक्ष होता है वो मौका मिल गया और समय आ गया पंचायत चुनाव का 02 जून 2022 से आचार संहिता प्रभावी हो जाना था सरपंच अपने पद से पदच्यूत हो चुके थे।
1-इस तरह वाटर शेड के अधिकारियों ने किया कारनामा।
-अब स्विकृत परियोजना क्षेत्र बरमबाबा व डोल कमेटी सबसे कमजोर थी कोई भी बोलने वाला नहीं था कि यहां क्या हो क्या नहीं वाटर शेड के अधिकारियों ने बरमबाबा डोल क्षेत्र की रेकी की और पाया कि ग्रामपंचायत के बड़े आदिवासी कृषक जिन्होंने मध्यप्रदेश शासन की भूमि पर मेडबंधा कराकर कृषि कार्य किया जा रहा था और उसी भूमि पर वाटर शेड से वर्ष 2013-2014 मे मेडबंधान के कुछ काम हुए थे मेरे चौड़ी थी।सीधी जिलापंचायत के अमले ने उन्हीं कृषकों का चयन किया जिनके यहां काम हुए थे ठेकेदार कहे या फिर दलाल संजय गुप्ता निवासी माटा को जिलापंचायत के वाटर शेड के अधिकारियों ने हायर किया कि किसानो से सम्पर्क करें चूंकि काम उनके यहां होना था तो तालमेल बनाने का काम संजय गुप्ता द्वारा किया गया और पैसे का लालच दिया गया कि उनके खेत में वाटर शेड से काम हो जायेगा और पानी निकलने के बाद खेती कि जा सकेगी।स्थानीय वाटर शेड दलाल के और धन के बहकावे में आकर किसानों ने सहमति दे दी चूंकि जमीन शासन की थी किसानों को हानि नहीं थी तव जिलापंचायत वाटर शेड के अमले व संजय गुप्ता ने मिलकर प्रधान व पदेन अध्यक्ष वाटर शेड कमेटी सुखलाल सिंह से सम्पर्क किया गया और उन्हें लालच व कुछ राशि देकर कार्य का प्रस्ताव व स्टीमेट बनाने की सहमति में हस्ताक्षर करवा लिया गया।
2-कहा किया गया र्निमाण कार्य।
-जिन जमीन पर वाटर शेड का स्ट्रेक्चर बनाया जाना था तो वाटर शेड के अधिकारियों ने देखा कि किसान वहां खेती कर रहे थे उनकी किसानी न प्रभावित हो और कोई विरोध न करें तो किसानों को कुछ धन भी देने कि बात सूत्र बताते हैं उपरोक्त उन्हीं किसानों का चयन हुआ था जहा पहले काम हुए थे और ज्यादा कुछ करने की आवश्यकता नहीं थी। उसी स्थान मेड को काट कर जो मिट्टी थी उसे बेस्वीयर पानी निकासी के लिए पक्का बना दिया गया ताकी मिट्टी का कटाव रूक जाय बेस्टवीयर बनाने से जो मिट्टी निकली हुई थी उसे मेड के उपर डाल दिया गया और इसी का नाम अमृत सरोवर कर दिया गया।
3-यह हुआ खुलासा।
-सीधी विधायक महोदया जब वाटर शेड के अधिकारियों के साथ सीधी जनपद सीईओ अशोक तिवारी आर ई एस एस डीईओ द्वय अंकित रस्तोगी व विनायक द्विवेदी के साथ मौके पर पहुंची तो तिलमानी अमृतसरोवर के पास तो आर ई एस एस डी ओ अंकित रस्तोगी ने आरोप लगाया कि वाटर शेड के सव इंजिनियर द्वारा कार्यों के सत्यापन उनसे करवाना चाहिए एसा प्रावधान है लेकिन उन्हें जानकारी ही नहीं दी जाती । एसे ही तत्कालीन जिला कलेक्टर साकेत मालवीय को भी वाटर शेड के अधिकारियों ने गुमराह कर प्रसाकीय स्विकृति में अनुमोदन करवा लिया जाने की सूचना है।
1-बरमबाबा तिलमानी अमृतसरोवर रखा गया जिसकि प्रशासकीय स्वीकृति -22 लाख 86 हजार थी वाटर शेड के द्वारा राशि निकाली गई -21लाख 92 हजार राशि अपहरित कर ली गई मौके पर 05लाख का काम नहीं दिखाई देता है यह वाते जांच करने गये अमले बता चुके हैं वात आती है कि काली मिट्टी फिलिंग की तो लाल मिट्टी भरपूर मात्रा में नही डाली गई।
2-बरमबाबा चरकी पानी में आर्डर डेम बनाया गया जिसकि लागत मूल्य -12.09 लाख था लेकिन -06लाख में बना दिया गया जब मौके पर शिकायत के बाद सीधी विधायक श्रीमती रीती पाठक पहुची तो उनके साथ तकनीकी अमले सहित वाटर शेड के अधिकारी थे आर्डर डेम में आधी बरसात बीतने के बाद एक बूंद पानी नहीं था न ही उस स्थान पर डेम बनाने कि कोई उपयोगिता थी विधायक महोदया के पूछे जाने के बाद अधिकारियों द्वारा सन्तोष जनक जबाब नहीं दिया गया।
3-वाटरशेड के अधिकारियों द्वारा तीसरा खेल डोल ग्रामपंचायत में किया गया जहां अमृत सरोवर के नाम जिसकी प्रशासकीय स्वीकृति -28.72लाख थी और उपरोक्त्त कि तरह 25 लाख 22 हजार राशि अपहरित कर ली गई।समस्त जानकारी सूत्रों के हवाले से संधारित है वाटर शेड के शेष कारनामे का खुलासा तीसरे एपीसोड में किया जायेगा।
-नोट-यदि उच्च स्तरीय तकनीकी अमले से तीनों अधोसंरचनाओं की जांच हो जाय तो यह स्पष्ट हो जायेगा कि कि सीधी जिला पंचायत के अधिकारियों ने अधोसंरचनाओं के र्निमाण में कितना भद्दा मजाक इस जन मूलक योजना के साथ किया गया है।एक भी काम के बोर्ड नहीं दिखाई दे रहे हैं कि यह पता चल सके कि किस मद से काम हुआ है कितना लागत मूल्य है।यही नहीं एक काम वाटर शेड अपने में दिखा रहा है तो आर ई एस विभाग अपने में यहां तक की पावर प्रेजेन्टेशन के नाम पर जिले के शासन व प्रशासन को संतुष्ट करने दोनों विभाग ने एक ही अधोसंरचनाओं को दर्शाया गया है।
-एपीसोड-02 सीधी वाटर शेड घोटाला। -आखिर कैसे खेला गया वाटर शेड के नाम बारम्बाबा,डोल घोटाले का खेल। -आदिवासियो की के मेड बंधान को दे दिया गया अमृत सरोवर का नाम। -कौन है संजय गुप्ता माटा,जिसने वाटर शेड में की ठेकेदारी। -पीएम के एस वाय-2.0 स्विकृत परियोजना वाटर शेड कमेटी परियोजना क्रमांक -02 का मामला।
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