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-एपीशोड। ०००मस्टर रोल बनाम कमीशन।-ग्रामपंचायत परसिली का कारनामा।

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By MPLive News

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-लोक तन्त्र का पंचायत तंत्र इतना बेरहम हो गया है कि भ्रष्टाचार की इबारतें यहां आसानी से लिखी जा रही है और जिन्हें जिम्मा दिया गया है कि ब्यवस्था सुचारू रूप से चलती रहे वे इन दिनों इस मामले में संलिप्त हैं कि इस कार्य का जो भी जिम्मा इन्हें दिया गया है वह निभाने के बजाय मूक स्विकृति देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना जा रहा है।यही कारण है की सीधी जिले के परिसिली ग्रामपंचायत में एक अलग ही तरह का मामला सुनने में आ रहा है हालांकि सुनने में यह ताजुब होता है की मजदूरी में कमीशन तो यह बात ग़लत नहीं है एसा मझौली जनपद के परिसिली ग्रामपंचायत में चल रहा यह कोई ताजूब वाली बात नहीं है सरपंच पति के मुंह से खुद व खुद खुलासा किया जा चुका है लेकिन सिर्फ दबेजुवान नहीं तो अधिकारियों के यहां इनकी छवि खराब हो जायेगी और यदि महिला सरपंच है तो छवि अच्छी रहना लाजमी ताकी इनका काम न रूके,मझौली खण्ड के अधिकारी और कर्मचारी इस मामले में संलिप्त हैं इस बात का खुलासा उस समय हुआ जब सूचना आने पर तस्दीक का प्रयास किया जाने के उद्देश्य से एक शिकायती पत्र दिया गया कि इस तरह कि शिकायत इस ग्रामपंचायत से आई है बरिष्ट अधिकारी जांच कर मामले का निराकरण करें तो वह पत्र ही गायब हो गया है जांच कहा से हो और कार्यवाही किस पर हो अब संलिप्त तो सब है अब चोरों को जांच का जिम्मा दिया जायेगा तो जांच कौन करेगा वहां तो संलिप्त कि स्थिति बनी रहेगी की कही हो न हो फर्जी तरीके से हमको जो दायित्व जनपद में बतौर कुर्सी मिली है वह कहीं खिसक न जाय हमेशा इस बात का डर सताता रहता है।
…ग्राउंड जीरो की जो जमीनी हकीकत है उसका खुलासा करने का प्रयास किया गया है एक मामले में इस तरह की सूचना के बाद जब यह देखा गया की इस तरह के मामले सामने आने लगे हैं तो खण्ड के मुखिया मुख्य कार्यपालन अधिकारी मझौली को एक शिकायती पत्र आज दिनांक से दो माह पूर्व दिया गया कि मामले की जांच हो कि वास्तविक हकीकत क्या है तब अधिकारी द्वारा उस पत्र को जांच के लिए अपने मातहत एक फर्जी तरीके से कुर्सी पर काबिज अधिकारी को दिया गया जो की पात्रता ही नहीं रखते कि उस पद का प्रभार उन्हें दिया जाय कुछ समय तक उन्होंने फोन आवेदक का उठाया और अपने आप को खूब व्यस्त बताते रहे और अब तो मुख्यकार्यकारी अधिकारी और जांच अधीकारी साहब ने आवेदक का फोन उठाना बन्द कर दिया है लेकिन सरपंच पति इस लिए जिम्मेदार है कि उन्हें आगे काम करना है जो कि उन्हें आगे भी इसी क्रम में काम करते रहना है यदि खुलासा हुआ तो खण्ड के अधिकारी उन्हें जनपद में खड़ा नहीं होने देंगे लेकिन एक बात अवश्य निकल कर सामने आई हे कि जब सरपंच या फिर उनसे जुड़े लोग ग्रामपंचायत से किसी काम का यूनिक कोड चालू होने के बाद मस्टरोल जारी करवाने जनपद के अधिकारियों के पास जाता है तो एवो अस्तर का अधिकारी यह मांग करता है कि उक्त मस्टरोल में उसे आठ प्रतिशत कमीशन चाहिए यह खेल आफ द रिकॉर्ड होता है इसका कोई जिक्र काम के दौरान इस लिए करना प्रतिबंधित है कि यह गतिविधी अबै़ध है और अब शवाल उठता है कि आखिर यह होता है क्यों तो जबाब है कि जनपद के अधिकारी जानते जिन लेवरों का नाम मस्टरोल में भरा जा रहा है लेवर नहीं बल्की सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक के लोग हैं ना कि लेवर एसे में कमीशन तो लाजमी बनता है और मस्टर रोल में फर्जी लेवर का नाम डाल कर पैसे निकलवा जिए जाते हैं इस तरह कार्य पूरे जनपद में चलता हो इसका पता भी सुधी नागरिकों को लगाना आवश्यक है जो की जांच का विषय है सुधी पाठकों से अपील है कि शेष लोक तंत्र के भ्रष्ट तंत्र का खुलासा अगले एपीसोड में शीघ्र किया जायेगा और इस मामले कि शिकायत बरिष्ट अमले तक पहुंचाई जायेगी।
-अजय पाण्डेय अधिमान्य पत्रकार मध्य प्रदेश शासन सीधी

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