-सीधी जिले के प्रशासन द्वारा सप्ताह के प्रति मंगलवार को जिला पंचायत सभागार में जिले के विभागीय अधिकारियों का पूरा अमला इस लिए जिला कलेक्टर के नेतृत्व में बैठता है कि जो आम जन अपनी समस्याओ को लेकर आ रहे हैं उनके मामले में सुनवाई की जाय जो शिकायतें आती है उनका निराकरण हो लेकिन जो लोग अपनी शिकायते लेकर जिला पंचायत आते हैं 60 फिसदी शिकायते राजस्व से जुड़ी होती है वर्तमान परिवेश में जिनका कोई स्थानीय समाधान नहीं है हालात यहां यह है कि जमीन जायजात के मामलो में गांव का हर दूसरा नागरिक प्रभावित हैं पुस्तैनी से लेकर आज तक समस्याओं का दौर जारी है।इस पूरे मामले में जितना जिम्मेदार हमारी कानून व्यवस्था है उससे कहीं ज्यादा जिले के राजस्व अधिकारी एसे में जिले का जो हालात हैं वह यह है कि मकड़जाल पूरी तरह से उलझा हुआ है।वहीं 40 फिसदी कार्य जन मूलक योजनाओं के है अधिकारी चाहते है कि ग्रामपंचायतो के शिकायत उनको जांच के लिए मिले और किसी हद तक ग्रामपंचायत के पदाधिकारियों को तलब कर अपना जलवा दिखाया जा सके।ये दिशाविहीन जन सुनवाई का कोई मतलब नहीं दिखाई देता और समस्याएं जस की तस है और जनता हलाकान है न्याय के लिए भटक रही है।
-भटकता सीधी जिले का जन मानस, आखिर ये कैसी जन सुनवाई। -मंगलवार के जन सुनवाई का मामला। -न्याय पाने भटकते लोग, औपचारिकता बनी जन सुनवाई।।
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